मनुष्य के जीवन का अंग है गुरुवाणी
अमर उजाला ब्यूरो
कानपुर। ‘गुरुवाणी महज शबद नहीं यह मनुष्य के जीवन का अंग है।
इसलिए यह जरूरी है कि इसे रोजमर्रा के जीवन में भी उतारा जाए।
ऐसा कर न सिर्फ आप उस ईश्वर को खुश करेंगे बल्कि अपना जीवन भी
सुदृढ़ और साफ-सुथरा व्यतीत करेंगे’। श्रीअकाल तख्त साहब के
पूर्व जत्थेदार प्रो.दर्शन सिंह ने शनिवार को ये विचार व्यक्त
किए। वे अकाली जत्था कानपुर के तत्वावधान में चल रहे खालसा हाल
गोविंद नगर में गुरमत समागम में संगत को संबोधित कर रहे थे।
देर रात नौ बजे जैसे ही वे मंच पर पहुंचे।
वाहे गुरु का खालसा वाहे गुरु की फतेह का उद्घोष हुआ। उन्होंने
भी सतश्री अकाल का संबोधन करते ही मंच संभाला। इसके बाद
उन्होंने कई शबद सुनाए। शबद की स्वर लहरियां जिसने सुनी श्रद्धा
से उसका सिर झुक गया। एक तरफ एक डोर से बंधे रागी जत्थे तो
दूसरी ओर साध संगत। इससे पहले रुद्रपुर के ज्ञानी परमजीत सिंह
ने सिख की परिभाषा बताई। कहा कि सिख सिर्फ पहनावा नहीं है। यह
एक विचार धारा है और यह विचार धारा गुरु साहब की है। जो सिख इस
विचार धारा को अपनाता है वह सिख धर्म का पालन करता है। वही सिख
अच्छे ढंग से अपना जीवन भी जीता है।
अकाली जत्था कानपुर के प्रधान हरचरण सिंह,
हरपाल सिंह, सोनू रेखी, सरदार इंदरजीत सिंह, कंवलपाल सिंह,
बलबीर सिंह, दिलीप सिंह, लकी सिंह आदि मौजूद रहे। उधर, गुरु
कृपा सेवा सोसाइटी के लोगों ने समागम में जोड़ी की सेवा की।
रविवार को कार्यक्रम पर एक नजर
• रात 8.00 से 9.00 बजे तक- ज्ञानी परमजीत सिंह की कथा
• खालसा हाल में गुरमत समागम में प्रो. दर्शन सिंह ने कीर्तन
किया
• रूद्रपुर के ज्ञानी परमजीत सिंह ने सिख धर्म की परिभाषा बताई