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सिख धर्म का ब्राह्मणीकरण
- All India Anti Brahmanwad Front

दोस्तों, आप को पता ही होगा की सिख धर्म की शुरुवात गुरु नानक साहब ने पंजाब में पंद्रहवी सदी में किया था। इसका उद्देश समाज समाज में समानता, भाई चारा प्रस्थापित करके, ब्राह्मणवाद का कर्म काण्ड, उंच नीच भेदभाव मिटाना था। सिख धर्म हिन्दू धर्म का हिस्सा नहीं है। जो लोग सिख धर्म को हिन्दू धर्म का हिस्सा मानते है वो लोग मूर्ख है और वो सभी ब्राह्मणवादी लोगों के झूठे प्रचार का शिकार है।

लेकिन आज के तारीख में ब्राह्मणवादियों ने सिख धर्म का बहोत नुकसान किया है। सिख धर्म में जात-पात घुसेड दी है। इसीकी वजह से सिख धर्म आज मजहबी सिख, जाट सिख, खालसी सिख, अरोरा सिख, खत्री सिख, सैनी सिख जैसे जाती में बटा हुआ है। ये बात अलग है की हमारे सिख भाई इस बात को नहीं मानते लेकिन वो ये सच को भी छुपा नहीं सकते। ना ही गुरु नानक साहब ने जाती मानने के लिए कहा, ना ही किसी सिख धर्म गुरु ने जाती व्यवस्था मानने को कहा, ना ही गुरु ग्रन्थ साहब में ऐसा लिखा है, फिर भी सिख धर्म में जाती व्यवस्था, उंच नीच क्यों है? क्यों की ये ब्राह्मणवादी लोगों का षड़यंत्र है, जिससे की हमारे सिख धर्म के लोग शिकार हुए है। सिख धर्म की इस जातीयता और उंच नीचता के भेद भाव से तंग आकर हमारे चमार लोगों को अलग “रविदासिया” धर्म बनाना पड़ा।

सिख धर्म जो छुआछुत ना मानने वाला, जातीयता ना माननेवाला, सिर्फ एक ही भगवान् को माननेवाला, समानता माननेवाला फिर इसमें ये जातीयता, उंच नीच की भावना कहां से आई? कौन लोगों ने ये अमानवीय जातीयता फैलाई? दोस्तों, ये सब ब्राह्मणवादी ताकतों ने किया, झूठ फैलाके किया। सिखों का 1984 में नरसंहार किया गया था। और सिखों में हिन्दू लोगों के प्रति नफरत की भावना तीव्र हो गयी थी। इस नफरत की भावना को मिटने के लिए और सिख धर्म का ब्राह्मनिकरण करने के लिए आरएसएस (RSS) ने राष्ट्रिय सिख संगत की 1986 में स्थापना की और ये संगत सिख धर्म का ब्राह्मनिकरण करने में बहोत हद तक सफल भी हुई। ब्राह्मणवादी लोग या उनकी संस्थाए (आरएसएस, बीजेपी, विहिप) जिस धर्म को ख़राब करने का है या फिर जिस समाज का नुकसान करने का है तो वो खुद आगे नहीं आती क्यों की अगर वो खुद आगे आई तो कोई उनकी बात नहीं मानेगा। इसलिए वो उन्हि समाज के लोगों में भडवे या दलाल पैदा करती है और उसका अपने मीडिया से प्रचार, प्रसार करती है, उसको ज्यादा महत्व देती है। मास्टर तारा सिंह, एस. रुल्दा सिंह, एस. शमशेर सिंह, एस. गुरुचरण सिंह गिल जैसे लोग इसका उदहारण है। अपने दुश्मन समाज का नुकसान करने के लिए या फिर उसको अन्दर से बर्बाद करने के लिए ये ब्राह्मणवादी लोग उस धर्म में परिवर्तित भी हो जाते है, लेकिन अपना मकसद नहीं भूलते है। जैसा इन्होने बुद्धिज़्म के साथ किया। बुद्धिज़्म में ये ब्राह्मणवादी बौद्ध भिक्कू बनके घुस गए और उसे कर्मकांड वाला धर्म बनाया और उसका हीनयान और महायान में बाँट दिया। महायान ब्राह्मणवादी है तो हीनयान बुद्ध के विचारो वाला शुद्द बुद्धिज़्म है। खैर, दोस्तों इन ब्राह्मणवादी भडवो और दलालोंको पहचान पाना कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन उनको ब्राह्मणवादी ताकतों का जबरदस्त सपोर्ट होता है,इसलिए वो बच निकलते है।

दोस्तों, आप जो ये तस्वीरे इस पोस्ट में देख रहे है उसकी पहली तस्वीर है का चिन्ह जो जो की सीखो के गुरुओं के बीचो बीच है। दोस्तों, सिख में एक ओंकार कहा गया है, यानी की भगवान् एक ही है और वो भगवान् है “वाहेगुरु” ना की ये का चिन्ह ठीक वैसे ही जैसे की दुनिया के तमाम मुसलमानो का भगवान एक ही है और उनको “अल्लाह” कहते है।

दुसरे चित्र में पंजाबी में कुछ लिखा है जिसको की हम पढ़ नहीं सकते लेकिन उसमें आरएसएस का चिन्ह-भारत माता भगवा झंडा लिए खड़ी है उससे वो चित्र जरूर कुछ विकृत प्रचार मालूम होता है।

तीसरे फोटो में मोहनदास गांधी और इंदिरा गांधी का फोटो गुरु नानक साहब के साथ दिखाकर सिखों की भावना को भड़काने की कोशिश की गयी है। क्यों की मोहनदास गांधी एक कट्टर सनातनी ब्राह्मणवादी था और उस चोर, ठगी, झूठे महात्मा गांधी की गुरु नानक साहब के पास तो क्या उनके पैरो की धुल को भी छुनेकी भी कोई औकात नहीं है। और इंदिरा गांधी सिखों के लिए क्या थी, कैसे उसने सुवर्ण मंदिर में फ़ौज घुसवाई, सिखों की हत्या की और कैसे उसकी वजह से सीखो का कैसे नरसंहार (Genocide) हुआ ये ज्यादा बताने की जरूरत नहीं है।

चौथे फोटो में गणेश की फोटो गुरु नानक साहब के पहले और गुरुद्वारे के बीचो बिच लगावाके ब्राह्मणवादी लोग गणेश को गुरु नानक और गुरूद्वारे से बड़ा दिखने की कोशिश करते है।

पांचवी फोटो में गुरु नानक साहब के पीछे राम और कृष्ण की फोटो दिखाई देती है, जिससे की प्रतीत हो की गुरु नानक साहब राम या कृष्ण भगवान् के अवतारी पुरुष हो। छठी तस्वीर का उद्देश भी येही है।

ब्राह्मणवादी लोग ये झूठा प्रचार करते है की सिख लव और कुश जो राम की संताने थी उनसे पैदा हुयी संताने है जो की एकदम अपमानजन वाक्य है जिसका कोई आधार ही नहीं है।

दोस्तों, मेरी तरफ से मैंने सच बताने का प्रयास किया है। अगर मैंने अज्ञानवश या सिख धर्म की जानकारी के आभाव से ऊपर कुछ गलत लिखा है तो कृपया मुझे माफ़ करे और मेरी गलती को सुधारने का कष्ट करें।


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